एक कुल्हड़ चाय सुहाना मौसम सर्द हवाएं और एक कुल्हड़ चाय मिट्टी की महक और चाय की चुस्की पकोड़े गर्म और साथ यारों का एक अरसा बीत गया चौपाल पर हंसी ठहाकों का वो नुक्कड़ वाली चाय की दुकान कॉफी कैफे मैं बदल गई मिट्टी का कुल्हड़ आधुनिक कप बन गया मिट्टी से महक ,, कुल्हड़ से चाय खो गई दोस्त ऑनलाइन हो गए बड़े बुजुर्ग घरों में सिमट गए कोई अकेला रह गया कोई दूर चला गया साथ में चाय से,, ऑनलाइन चाय तक पहुंच गए देखो तो हम लोग कितने आधुनिक हो गए अपने मतलबो तक सिमट कर रह गए है काश फिर से चार यारों का साथ हो हंसी ठहाको की गूंज हो,, चौपाल पर भीड़ हो स्वस्थ जीवन हो आधुनिकता से परे प्यार वाली जीवनशैली हो और वही एक कुल्हड़ चाय और मिट्टी की खुशबू हो।। ©Bhumika kaushik एक कुल्हड़ चाय #Morning