आज म खुद से रूठा हु न जाने पर क्यो पतों सा सुखा हु एक अजीब सी बेचैनी ह कही डर तो कहि आत्मा सहमी सी ह मन मे एक अजीब सी घबराहट ह पता नही पर क्यो, दिल मेरा उदास ह चुभन हो रही ह बिन काँटो के न जाने ये कैसा गुलाब ह। अंदर ही अंदर मानो कोई बात मुझे खाई जा रही ह, हुआ कुछ भी नही फिर भी सताए जा रही ह दिल मे दर्द,आंखों में नमी छुपाए जा रही ह आज मन बहुत उदास ह कोई याद नही,फिर भी यादे सताए जा रही ह वैसे तो नही जरूरत किसी की, म चुप ही हु,पर ये चुप्पी बदलो के समान छाए जा रही ह फिर भी कभी कभी लगता ह काश!कोई हो ऐसा जो गले लगा कर कहे"सब ठीक हो जाएगा" ऐसी आवाज़ कहि खो गई ह आज म खुद से रूठा हु शायद मुजे अकेलेपन की आदत हो गई ह। कोई कहे कि "सब ठीक हो जाएगा"