"आंसुओं की तरह" लुटाया प्यार था तुमने, भर के बांहों में झूलों की तरह। शबनमी होंठों पे रख के, होंठ नरगिसी फूलों की तरह। जी रहा हूं बिन तुम्हारे, विरह में कटीले शूलों की तरह। दख्त सेहरा में भटकता हूं, ढूंढने को घनी छाँह गैसुओं की तरह। बिखर रहे हैं ज़िन्दगी के हँसीं पल, गिर गिर के आंसुओं की तरह। ©Anuj Ray #आसुओं की तरह"