बिन्त-ए-हव्वा हूँ मगर शिकवा-ए-ज़ौर-ए-जफ़ा किससे करु या इलाही रहम करना हम पर इन क़ौम-ओ-मज़हब के बीच #मुल्क़ #इश्क़ #तलबगार #तलब #poetry #hindi #hindishayri #nojoto #nojotohindi #nojotonews #writersofindia