इस जीवन से मुझे विरक्ति है और समाज की प्रचलित नीति से क्रोध, मैं थोड़ा अलग थलग हूं और इतना अलग थलग क्यों हूं मैं भी नहीं समझ पाया हूं ये समाज जिसे स्पृहणीय समझता है मैं उसे तुच्छ समझ उसका त्याग कर देता हूं और ये समाज जिसे नीच समझ कर छोड़ देता है मैं उसे सहर्ष स्वीकार कर लेता हूं... #जीवन #समाज #त्याग #तुच्छ #स्वीकार