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दुनियां की नज़रों में अच्छी बन जाऊं भूलकर अपना वजू

दुनियां की नज़रों में अच्छी बन जाऊं
भूलकर अपना वजूद बस दुनियादारी निभाऊं

जिस बात पर ना हो एतबार
दिल मानने से करे इनकार
खामोशी रहकर बात मान जाऊं
भूलकर खुद को बस दुनियादारी निभाऊं

ऐसी दुनियादारी मन को नहीं भाती
वो बेफिक्र बचपन वाली दुनियां याद आती

काश बनावटी दुनिया से दूर कहीं जाऊं
खुद से मिल सकूं दर्पण कोई ऐसा पाऊं

हो कोई ऐसा जहां दिखावे का जीवन ना हो वहां
जगह कोई ऐसी पाऊं दुनियादारी भूलकर
सच्ची मुस्कुराहट लबों पर सजा पाऊं

बनावटी रिश्तों का ना हो अंबार
सच्चे मन और सच्चा हो प्यार

क्या ऐसा ख़्वाब सजाऊं
है कोई ऐसा जहां 
मिलूं खुद से मै वहां???

©kavya soni #Poetry_month 
#duniyadari Sagar The Janu Show RUPENDRA SAHU "रूप" Balwinder Pal Meenakshi Suryavanshi
sujalsoni4767

kavya soni

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#Poetry_month #duniyadari Sagar The Janu Show RUPENDRA SAHU "रूप" Balwinder Pal Meenakshi Suryavanshi

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