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ये जो ग़म है अब की बार बारिश में धुल जायेंगे सोचा

ये जो ग़म है अब की बार 
बारिश में धुल जायेंगे सोचा था
बादल तो बहोत मंडरा के चले गये
पर अब की बार जहां में अकाल जो पडा था

शब्दवेडी #२१/३६५
ये जो ग़म है अब की बार 
बारिश में धुल जायेंगे सोचा था
बादल तो बहोत मंडरा के चले गये
पर अब की बार जहां में अकाल जो पडा था

शब्दवेडी #२१/३६५