ज्ञान और पूर्व करें हम सब जानते हैं कि पूर्व गृह भाव जीवन में अशांति तनाव एवं परेशानी का कारण है हमसे हम टकराते रहते हैं संभावना का पूरा काश हमारे इंतजार में होता है और हम भटकते रह जाते हैं इस तरह के हट एवं जड़े कोटि के लोग समझने पर भी समझ नहीं पाते यह समझना नहीं चाहते जो समझना नहीं चाहते उसे समझाया नहीं जा सकता कहावत है कि आप घोड़े को जलाते तक ले जाएं सकते हैं किंतु उसे पानी पीने के लिए बाध्य नहीं कर सकते सब चाहते हैं कि उनके आसपास वाले उन्हें सोने जैसा वह कर रहे हैं वैसा ही करें पर आप क्या ऐसा पता हो सकता है ज्यादातर यही कहते हुए मिलते हैं कि डरिए धमका यह बिना काम नहीं होता नतीजा कहने और सुनने वालों दूरी बनी रहती है वास्तव में किसी भी क्षेत्र में प्रबंधन का एक ही अचूक नियम है दूसरों से उसी तरह काम करवाइए जिस तरह आप चाहते हैं दूसरे आपसे काम करवाएं प्रबंधन का सिद्धांत की कर्मचारी को अधिकारी के संकेत को समझना चाहिए अगर ऐसी कर्मचारी हो तो कंपनी का बहुत विकास होगा ऐसे लोगों का जीवन भी सुखी होता है लेकिन आज यह बातें देखने में नहीं आती आज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि ज्ञान का विकास तो बहुत हो रहा है किंतु आगरा को कम करने की साधना नहीं हो रही है समस्या यह भी है कि चरित्र का पाठ भी पढ़ाया नहीं जाता केवल पैसे कमाने का पाठ पढ़ाया जाता है अब कौन समझाए कि गाली के बदले में गाली देना तो गाली देने वाले की श्रेणी में आना है यहां पर हम यहां चाहे तो बिखर जाएं यहां पहले से बेहतर बन जाए आप बुरी किस्मत कहकर खुद को दिलासा भी देते हैं लेकिन सच यह है कि भाग्य पर आप पर निर्भर करता है आप वही बन जाते हैं जो आपने चुनते हैं इंसान अपने हालातों से नहीं फैसलों ©Ek villain #giyaan #BooksBestFriends