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"रूप यौवन सम्पन्नाः विशाल कुल सम्भवाः। विद्याहीनाः

"रूप यौवन सम्पन्नाः विशाल कुल सम्भवाः।
विद्याहीनाः न शोभन्ते निर्गन्धाः इव किंशुकाः"

भावार्थ: अच्छा रूप, युवावस्था और उच्च कुल में जन्म लेने मात्र से कुछ नहीं होता। अगर व्यक्ति विद्याहीन हो, तो वह पलाश के फूल के समान हो जाता है, जो दिखता तो सुंदर है, लेकिन उसमें कोई खुशबू नहीं होती। अर्थात मनुष्य की असली खुशबू व पहचान विद्या व ज्ञान ही है।

©Sanjeev Thakur
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