" मज़दूर का जीवन" मज़दूर के जीवन का यही किस्सा है, खुशिया उनके घर का कहाँ हिस्सा है। जितना अनाज का बोझ वो ढो पाता है, उतना अनाज वो कहाँ घर ला पाता है । मेहनत करके आलिशान बंगले बनाता है, खुद का सारा जीवन झोपड़े में गुजारता है। दो पैसे कमाने के लिये दूर तलक वो जाता है, दो टाईम की रोटी भी नही चैन से खा पाता है। ऊंची-ऊंची इमारतें भी मज़दूर बनाता है कभी कभार तो अपनी जान भी गंवाता है। उन्हें पूछने तक को भी कोई नही आता है, मजदूर का जीवन यूँ ही बीत जाता है । मजदूर के जीवन का यही किस्सा है, खुशिया उनके घर का कहाँ हिस्सा है। मौलिक रचना सुमित मानधना 'गौरव' सूरत. गुजरात। ©SumitGaurav2005 #worldlabourday #internationallabourday #majdoor #majdoordiwas #मजदूरदिवस #sumitmandhana #sumitgaurav #sumitkikalamse #nojotoapp