बस यही दिन देखना बाकी रह गया था.... वो अजनबी था जो कुछ कह गया था..... उदास बैठे हो दर्द में लगते हो शायद..... पुराना ख्वाब था पीछे रह गया था..... जिंदगी में उफान- तूफान आते रहेंगे..... लोग आएंगे भी और जाते रहेंगे...... मेरी नीयत में जो नुक्स तू देख रहा है अभी..... जान जरा लोगों से मुझे, थक जाएंगे पर बताते रहेंगे.... कह देता हूं यह मनीष बुरा नहीं है..... क्या खोया जो तेरा नहीं है..... और बहुत देखे हैं इश्क में जान देने वाले..... मददगार अजनबी कोई मिला नहीं है..... बहुत दिनों बाद कलम उठाई है...... उन आंसू के थपेड़ों से हुई पिटाई है..... दर्द में शायद देख नहीं पा रहा उसे..... खुशी या गम बड़ी उलझन में हूं, देख यार क्या चीज पाई है.... ©Manish Choudhary #jagrata