हम जीतें, तब तो ग़लत तुम हो ही! हम हारें, तो भी ग़लत तुम ही हो! इसे कहते हैं, " खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचे!" हम स्वयं जैसे होते हैं वैसा ही दूसरे को समझते हैं! सही है, "जाकी रही भावना जैसी, प्रभू मूरत देखी, तिन तैसी!" ©अंजलि जैन ।।खिसियानी बिल्ली, खंभा नोंचे।।१०.११.२०