मासूम भी तुम , मासूमियत की महोब्बत भी तुम जिन्हें हम आजीवन नहीं भूलेंगे.. वो शिव की सती भी तुम, प्रीत भी तुम तुम्हें याद न रहा एक भी पूछा हुआ प्रश्न जो तुम उस प्रेम की रूह की करते पड़ताल संशय तो मुझे हर प्रेम में बाधा ही दिखे सो झटक कर रख दिया तुम्हें अपने बुद्धि से परे तुम हमेशा दिल में हो.. ऐसा मान के चला संग रही तू प्रतिपल मेरे साथ-साथ घुमा लेकिन मैं चुन नहीं पाया इस वाकये को आजमाया खुद में ही तुम्हें अनगिनत बार ली तुम्हारी अनंत परीक्षा.. खुद में ही, और खुद से ही तुम्हें पूर्ण अंक से उत्तीर्ण किया कई बार रूठे तुमसे और बेतहासा प्यार किया एक जिस्म दो जान , खुद ही दोनों का किरदार जिया ईश्वर साक्षी है भले ही कुछ दिन अलग जिये हैं हम लेकिन दो दिल एक धड़कन हर सांस तेरे नाम किया बस मन समझ जाए तुम्हारे मन की अबतक जो हमने तुम्हें रुसवा किया किये हमने अनंत सवाल तुम्हें खुद में रख के लो देख लो आज हमने खुद को निरुत्तर किया लेकिन हर बार तुम्हारी शालीनता को दिल ने हृदय से नमन किया... -अज्ञात #मेरेदिलकीक़लमसे #paidstory1