वो अपना लुटेरा कैसा तुम्हारा भूख है और कब मिटेगी ये भूख कितने मजलूम,गरीब,बेबस की जान खा चुके हो। कैसा तुम्हारा ये राक्षसी प्यास है जो कितनो का तो खून तुम पी चुके हो , और कितनो का पियोगे। जो ये तुम्हारा राक्षसी प्यास बुझेगा ना जाने ये कब तक तुम्हारी प्यास बुझेगा। अगर तुम्हे बहुत जोड़ो की भूख लगी है तो तुम अपने हिस्से का खाना खाओ, उसे भी खाने दो। क्यों छीन रहे हो उन गरीब, मजलूम और बेबस की रोटी, वो भी तो एक इंसान है, उसे भी भूख है। जब भगवान ने सबको एक ही जैसा बनाया है तो फिर तुम क्यों फर्क करते हो इन सभी इंसानों में। अपने अंदर के राक्षस और दानव को मारो न कि इंसानियत को। और अपने मेरी हुई ममता और सोई हुई जमीर को जगाओ। तुम भी एक इंसान हो वो भी तो एक इंसान ही है चलो इनके सुख दुख को आपस में मिलकर बांटे वो कोई आदमखोर नहीं वो तो हमारे अपने ही है । चलो आपस में मिलजुल कर हम सब खुशियां का जिंदगी जिएं। ©रूपक #Art #Love #India #Dil #Apne #Lu