#पेडों से बँधना.. जब कभी प्रेम में बँधना चाहो तो बँधना, एक पेड़ के संग वह तुम्हें सिखाएगा.. प्रेम निभाना..! तब भी जब बरसात थोड़ी कम क्यों न पड़ी हो वह जड़ों में सोखकर जल.. सिखाएगा हरा रहना..! बरसात में भींगते हुए वह सिखाएगा भीतर-बाहर से तर रहना। मूसलाधार बारिश में मिट्टी से बंधकर अपनी सिखाएगा अडिग रहना। वृक्षों से प्रेम हमें सिखाएगा न्यूनतम लेकर, अधिकतम देना । क्योंकि प्रेम भी तो.. समर्पण का ही एक पर्याय है ..! ****** #पेडों से बँधना.. जब कभी प्रेम में बँधना चाहो तो बँधना, एक पेड़ के संग वह तुम्हें सिखाएगा.. प्रेम निभाना..!