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#पेडों से बँधना.. जब कभी प्रेम में बँधना चाहो तो


#पेडों से बँधना..

जब कभी प्रेम में बँधना चाहो
तो बँधना, एक पेड़ के संग
वह तुम्हें सिखाएगा..
प्रेम निभाना..!

तब भी जब बरसात 
थोड़ी कम क्यों न पड़ी हो
वह जड़ों में सोखकर जल..
सिखाएगा हरा रहना..!

बरसात में भींगते हुए 
वह सिखाएगा
भीतर-बाहर से तर रहना।

मूसलाधार बारिश में
मिट्टी से  बंधकर अपनी
सिखाएगा अडिग रहना।

वृक्षों से प्रेम 
हमें सिखाएगा
न्यूनतम लेकर, अधिकतम देना ।

क्योंकि प्रेम भी तो..
समर्पण का ही
एक पर्याय है ..!


****** 
#पेडों से बँधना..

जब कभी प्रेम में बँधना चाहो
तो बँधना, एक पेड़ के संग
वह तुम्हें सिखाएगा..
प्रेम निभाना..!

#पेडों से बँधना..

जब कभी प्रेम में बँधना चाहो
तो बँधना, एक पेड़ के संग
वह तुम्हें सिखाएगा..
प्रेम निभाना..!

तब भी जब बरसात 
थोड़ी कम क्यों न पड़ी हो
वह जड़ों में सोखकर जल..
सिखाएगा हरा रहना..!

बरसात में भींगते हुए 
वह सिखाएगा
भीतर-बाहर से तर रहना।

मूसलाधार बारिश में
मिट्टी से  बंधकर अपनी
सिखाएगा अडिग रहना।

वृक्षों से प्रेम 
हमें सिखाएगा
न्यूनतम लेकर, अधिकतम देना ।

क्योंकि प्रेम भी तो..
समर्पण का ही
एक पर्याय है ..!


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#पेडों से बँधना..

जब कभी प्रेम में बँधना चाहो
तो बँधना, एक पेड़ के संग
वह तुम्हें सिखाएगा..
प्रेम निभाना..!