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चरणों पर गिरा हुआ एक फूल। वो मंदिर के बाहर बैठी ह

चरणों पर गिरा हुआ एक फूल।

वो मंदिर के बाहर बैठी हुई थी। आज उसे भरपेट खाना मिलने की उम्मीद थी। आज मंदिर को गेंदे के सुंदर पीले फूल से सजाया गया था। मंदिर की प्राचीरों पर गेंदे की लंबी-लंबी मालाए लटकी हुई थी। मंदिर के अंदर बाहर सब जगह आज पीले फूल दिखाई दे रहे थे जैसे एक दिन उसकी शादी से पहले उसके घर मे दिखाई दे रहे थे।

उसकी आँखों के सामने अपनी ज़िंदगी का वो वक़्त किसी फ़िल्म की तरह घूम गया, जब उसकी शादी होने वाली थी। उसे गेंदे के पीले फूल बहुत पसंद थे।……

 आज उसकी हल्दी की रस्म होने जा रही थी जिसमें इन्हीं पीले गेंदे के फूलों को पीसकर मिलाया गया था। उसने भी पीले कपड़े पहने थे। उसकी सहेलियाँ उसे उसके होने वाले पति का नाम लेकर छेड़ रही थी और वो हृदय से घबराई और मन से हर्षित कल होने वाले विवाह के बारे मे सोच रही थीं।

उसे साज-श्रृंगार करने का इतना चाव था कि उसने अपने होने वाले पति से कह दिया था कि उसे उसके घर के बाहर गेंदे के फूल से भरा हुआ एक बगीचा चाहिए और उसके पति ने भी अपनी होने वाली पत्नी की इच्छा का सम्मान करते हुए अपने घर को उसी हिसाब से तैयार किया।

लेकिन शायद भाग्य को उसकी यह खुशी मंजूर नहीं थीं। जब वह विवाह मंडप में अपने वर के साथ अग्नि के फेरे ले रही थी कि तभी वही अग्नि वहाँ मौजूद उसके परिवार के सभी लोगों का भोजन कर चुकी थी। उसका पति अपने परिवार के साथ उसे मनहूस कहकर छोड़कर जा चुका था। 

आज वह श्रृंगारविहीन मंदिर की सीढ़ियों पर भिखारिन का जीवन जी रही हैं। आज उसके चरणों पर एक गेंदे का फूल भी उसका श्रृंगार करते हुए अपना रंग बिखेर रहा था सिर्फ उसके लिए ही….
चरणों पर गिरा हुआ एक फूल।

वो मंदिर के बाहर बैठी हुई थी। आज उसे भरपेट खाना मिलने की उम्मीद थी। आज मंदिर को गेंदे के सुंदर पीले फूल से सजाया गया था। मंदिर की प्राचीरों पर गेंदे की लंबी-लंबी मालाए लटकी हुई थी। मंदिर के अंदर बाहर सब जगह आज पीले फूल दिखाई दे रहे थे जैसे एक दिन उसकी शादी से पहले उसके घर मे दिखाई दे रहे थे।

उसकी आँखों के सामने अपनी ज़िंदगी का वो वक़्त किसी फ़िल्म की तरह घूम गया, जब उसकी शादी होने वाली थी। उसे गेंदे के पीले फूल बहुत पसंद थे।……

 आज उसकी हल्दी की रस्म होने जा रही थी जिसमें इन्हीं पीले गेंदे के फूलों को पीसकर मिलाया गया था। उसने भी पीले कपड़े पहने थे। उसकी सहेलियाँ उसे उसके होने वाले पति का नाम लेकर छेड़ रही थी और वो हृदय से घबराई और मन से हर्षित कल होने वाले विवाह के बारे मे सोच रही थीं।

उसे साज-श्रृंगार करने का इतना चाव था कि उसने अपने होने वाले पति से कह दिया था कि उसे उसके घर के बाहर गेंदे के फूल से भरा हुआ एक बगीचा चाहिए और उसके पति ने भी अपनी होने वाली पत्नी की इच्छा का सम्मान करते हुए अपने घर को उसी हिसाब से तैयार किया।

लेकिन शायद भाग्य को उसकी यह खुशी मंजूर नहीं थीं। जब वह विवाह मंडप में अपने वर के साथ अग्नि के फेरे ले रही थी कि तभी वही अग्नि वहाँ मौजूद उसके परिवार के सभी लोगों का भोजन कर चुकी थी। उसका पति अपने परिवार के साथ उसे मनहूस कहकर छोड़कर जा चुका था। 

आज वह श्रृंगारविहीन मंदिर की सीढ़ियों पर भिखारिन का जीवन जी रही हैं। आज उसके चरणों पर एक गेंदे का फूल भी उसका श्रृंगार करते हुए अपना रंग बिखेर रहा था सिर्फ उसके लिए ही….
akankshagupta7952

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