ना ख़बर मिले मेरी तो,मै जहां में ना रहूंगा। जब तक रहूंगा जिंदा,तुझे अपनी जां कहूंगा। है धड़कने मगर तुम,हो सांस धड़कनों की। तुम ही सुकून हो अब तो,मेरी उलझनों की। अब तो जुदाई तुझसे,हा ना मै सह सकूंगा। जब तक रहूंगा जिंदा,तुझे अपनी जां कहूंगा। भगवान को ही साक्षी,हमने भी है बनाया। माता के ही चरण में,रिश्ते को है सजाया। मै तो तेरा ही जमी हु,तुझे आसमा कहूंगा। जब तक रहूंगा जिंदा,तुझे अपनी जां कहूंगा। रस्मो के तोड़ बंधन,कसमों को है निभाना। बेशक बुरा कहे अब,हम दोनों को ज़माना। खुद को तेरे हवाले,या फिर दे के जां रहूंगा। जब तक रहूंगा जिंदा,तुझे अपनी जां कहूंगा। ©Anand S.....