इक तारा टूटा था आसमां से। बर्फ का तारा। धंस पड़ा धरती की छाती में। बहुत अंदर तक। धीरे धीरे पीघल रहा था। धरती की आंच लेकर। धरती में ही मिलने को। पता था उसे पिघलकर पानी बन जायेगा। फिर भी पिघलना था उसको। उसका बस भी तो नहीं था कोई। होता भी तो पानी बनना था उसे। इस ख्वाहिश में की शायद फिर आसमां से मिल जाए। बर्फ का तारा #eternalLove