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#चलना_आ_ही_गया रास्ता कठिन था चलना पड़ा, कोई अपन

#चलना_आ_ही_गया 

रास्ता कठिन था चलना पड़ा,
कोई अपना नहीं था ,
खुद ही संभलना पड़ा ।
क्या शिकायत करे गैरों से, 
अपना था ज़ख़्म,मिला था अपनों से .
यही सोच कर और हौसला बढ़ाना पड़ा ।
रास्ता कठीन था चलना पड़ा।
कोई अपना नहीं था ,
खुद ही संभलना पड़ा ।
गैरों की भीड़ मेँ किसी से, 
हम उम्मीद नही करते ।
अपनो को कभी भी किसी बात का,
दोषी नहीं मानते ।
मुकद्दर के लिखे को सही मान ,
खुद अपना मुकद्दर लिखने क़ा,
हुनर लिए चलते है ।
अपनी हस्ती अब खुद ही बनानी है,
जब से यह ठान लिया ।
डगर कितना भी कठिन हो, 
हमको चलना आ ही गया।

©Arya Singh
  #ChainSmoking