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रूह निकल गयी जिस्म से, बाकी जख्म रह गया। जख्मों को

रूह निकल गयी जिस्म से,
बाकी जख्म रह गया।
जख्मों को जो दे सुकून,
तेरी यादों का मलहम रह गया।
शुक्र है कुछ तो बाकी छोड़ा मुझमें,
खुशियाँ भले छीन लीं, बाकी गम रह गया।

लेखक - अंकित पालीवाल कुछ तो छोड़ा बाकी मुझमें
कुछ तो छोड़ा बाकी मुझमें
रूह निकल गयी जिस्म से,
बाकी जख्म रह गया।
जख्मों को जो दे सुकून,
तेरी यादों का मलहम रह गया।
शुक्र है कुछ तो बाकी छोड़ा मुझमें,
खुशियाँ भले छीन लीं, बाकी गम रह गया।

लेखक - अंकित पालीवाल कुछ तो छोड़ा बाकी मुझमें
कुछ तो छोड़ा बाकी मुझमें