वो नदियों का पानी वो शांत नज़ारा तब हंसता हुआ दिखता था ये आलम सारा...! तडपता हूं अब सुकुन के लिए.. कोई तो लोटा दो... वो बचपन हमारा....!! #writer-kj # #imagination 505 sukun by karamjit singh