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याद है वो दिन जब तुम्हे पहली बार देखा था, और तुम म

याद है वो दिन जब तुम्हे पहली बार देखा था,
और तुम मेरे बाजू से गुजरी,
ऐसा लगा था जैसे 9mm पिस्टल से चली हुयी गोली कान के बाजु से सनसनाते हुयी निकल गयी,
कसम से कलेजा मुंह में आ गया था,
फिज़ाये उस गोली के बारूद के माफिक महक उठी थी,
बैकग्राउंड में एलएमजी के कई राउंड फ़ायर सा मनमोहक संगीत गूंज उठा था,
जब तक मैं अपनी सोच समझ के देसी कट्टे को दोबारा लोड कर कुछ सोच समझ पाता,
तुम मुरैना की भीड़ में ऐसे गुम हुयी जैसे असम के जंगलो में उल्फा उग्रवादी,
ये वो दिन था जब मुरैना पहली बारिश से सराबोर था, मेरे हाथ में प्लास्टिक वाला चाय का प्याला और उँगलियों में नेवी कट थी,
मानता हूँ इस बात को आज एक साल के करीब हो गए,
लेकिन हाँ, चाय के साथ आज भी मैं नेवी कट ही पीता हूँ
।।
याद है वो दिन जब तुम्हे पहली बार देखा था,
और तुम मेरे बाजू से गुजरी,
ऐसा लगा था जैसे 9mm पिस्टल से चली हुयी गोली कान के बाजु से सनसनाते हुयी निकल गयी,
कसम से कलेजा मुंह में आ गया था,
फिज़ाये उस गोली के बारूद के माफिक महक उठी थी,
बैकग्राउंड में एलएमजी के कई राउंड फ़ायर सा मनमोहक संगीत गूंज उठा था,
जब तक मैं अपनी सोच समझ के देसी कट्टे को दोबारा लोड कर कुछ सोच समझ पाता,
तुम मुरैना की भीड़ में ऐसे गुम हुयी जैसे असम के जंगलो में उल्फा उग्रवादी,
ये वो दिन था जब मुरैना पहली बारिश से सराबोर था, मेरे हाथ में प्लास्टिक वाला चाय का प्याला और उँगलियों में नेवी कट थी,
मानता हूँ इस बात को आज एक साल के करीब हो गए,
लेकिन हाँ, चाय के साथ आज भी मैं नेवी कट ही पीता हूँ
।।