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"जीवन साथी गर्मागर्म चाय लेकर सुधा बालकनी में अपने

"जीवन साथी
गर्मागर्म चाय लेकर सुधा बालकनी में अपने पति मोहन को कप पकड़ा रही थी कि उसकी नजर मोहन की भींगी हुई पलकों पर गया... मोहन...ये क्या आपकी आंखों में सुधा आगे अपनी बात पूरी करती की मोहन रूंधे गले से बोला समझ नही पा रहा तुम्हे कैसे बताऊं कि..क्या.आपको मुझसे झिझकते हुए मैंने पहली बार देखा है आप मुझे अपनी पत्नी के साथ साथ अपना दोस्त कहते हैं फिर इतना क्या सोच रहे हैं बताइए ना आखिर ऐसी क्या बात है जिसके कारण आपकी आंखें भीग गई सुधा कम्पनी से मैसेज आया है सुधा मेरी जॉब चली गई तुम्हें बताया था कि कम्पनी किसी और ने खरीद ली नया बांस कंपनी घाटे पर दिखाकर कम्पनी में छंटनी कर रहे थे उनमें मेरा नाम भी...समझ नहीं आ रहा मैंने कम्पनी को इतने साल मेहनत से दिए और आज...बस इतनी सी बात...तुम हिम्मत मत हारो कोशिश करने वालो की हार नही होती किसी और कम्पनी में दूसरी नौकरी मिल जाएगी कहते हुए सुधा मोहन के सर पे हाथ फेरने लगी सुधा का यूं प्यार से उसे सहलाना उसकी हिम्मत बढ़ाना उसे बचपन की याद दिला रहा था जब कभी उसके परीक्षा में नम्बर कम आएं या इम्तिहान सही नहीं जाते थे तो वह भी ऐसे ही उसके सिर को सहलाने लगती थी उसे लगा सामने मम्मी खड़ी हैमै हूं ना.... तुम्हारे मना करने के बावजूद मैं पिछले सात आठ महीने से आसपास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रही हूं और अब तो हमारी पूरी सोसाइटी में लोग तुम्हारी सुधा को टीचर के रूप में जानते है वैसे मैने तुम्हारे दिए घर खर्च और अपने ट्यूशन से बैंक एकाउंट भी अच्छा मेंटेन किया है और तुम्हे भी आराम करने का हक है और वो कहते है नाजीत जाएंगे हम तू अगर संग है जिंदगी हर कदम इक नई जंग है कहते हुए सुधा ने आंखें मटका दी तो मोहन भींगी हुई पलकें साफ करते हुए मुस्कुरा उठा और अपनी जीवनसाथी को अपने आलिंगन में बांध लिया...

©Saroj Patwa
  #जीवनसाथी