मत रोको मुझे यूँ आज भीग जाने दो इन बारिश की बूदों में खुद ही तुम्हे पाने दो । कब से ये प्यासी धरती जो रही तुझे पुकार, और ये बैरागी आसमाँ गरजते बादलों को कर रहा उजियार., यूँ टूट कर खुद ही में मैं जो जुड़ गया तुझसे । कोई न जाने पल दो पल में - पल ये कैसे बीत जाए, पर वो लम्हा जिसमें तेरी धुन हो अनगिनत बार कम पड़ जाए .... DQ : 075 " Don't ever stop me from this rain For every drop of it, finds you and you only... From long long ago, this barren land seeks your presence and you, being the almoody sky, is involved only in glittering the thundering clouds...