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ऐ इश्क़! सुनो मजबूरी मेरी, मैं तुमसे बचना चाहता हूँ

ऐ इश्क़! सुनो मजबूरी मेरी,
मैं तुमसे बचना चाहता हूँ..!
चाहता हूँ मर मिटना भी,
और मरना ही बस चाहता हूँ..!
न डर मुझको बदनामी का,
न नामी होना चाहता हूँ..!
मैं डरता हूँ ज़िन्दगी से पर,
न मौत से डरना चाहता हूँ..!
मैं निभाता रिश्ते सभी से
बस वफ़ा निभाना चाहता हूँ..!
बेईमानी के इश्क़ में मैं,
ईमान दिखाना चाहता हूँ..!
धोखा है ये प्रेम मोहब्बत,
ये बताना चाहता हूँ..!
मैं भी करता था प्रेम किसी से,
ये जताना चाहता हूँ..!
नहीं धन दौलत से बढ़ता प्रेम,
मैं लगाव दिखाना चाहता हूँ..!
मैं इश्क़ करके इश्क़ में,
फ़ना हो जाना चाहता हूँ..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #ArabianNight #Aeishq