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वो एक बहार था आया और चला गया, मैं पागल पर्वत सी अट

वो एक बहार था आया और चला गया,
मैं पागल पर्वत सी अटल रही,
वो मोह मेरा एक तरफा था ,
मैं उसके लिए बस भीड़ का हिस्सा रही,
मुझे न रखना अब कोई दिल का रिश्ता तुझसे,
मैं संभालती हर दफा ये रिश्ता रही,
बस एक दफा ये बता तू क्यों दिल का चोर था,
एक दफा फिर मेरी खामोश जिंदगी खामोश रही,
क्यों आया है अब कुछ कहने मुझसे रहने दे,
सुनी सब तेरी मैंने मैं बस तेरे लिए पागल रही,
सुन खतम करते हैं अब वो रिश्ता,
जिस रिश्ते में बंधी मैं हर एक पल रही,
मैं पागल पर्वत सी अटल रही।।

©Priya Gour
  🖤🖤
#nakhre 
#14mar 10:58
#onesidedlove
priyagour7765

Priya Gour

Gold Star
Super Creator

🖤🖤 #nakhre #14mar 10:58 #onesidedlove #कविता

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