(Ryhme poem ABABACAD) सचरित्र-सरिता सम उड़ेलती निश्चल मधुर मुस्कान है, जीवनभर ग़मो का टुक हे नारी तू अधरों तले दबाती , पग पग पर दी अग्निपरीक्षा,जलाये तूने अपने सु स्वप्न है, मिलता नहीं सम्मान सम उपहार अपनों की चिंता बस सताती, युगों युगों में तेरी महिमा का बखान है,तेरी शक्ति अपरंपार है, पर कुछ मूर्ख आज भी नही न समझ रहे,धन मोह में तेरी चिता जलाई, कभी बेटी,कभी सहधर्मिणी,कभी ममतामयी माँ तेरे अनेक स्वरूप हैं, जब तेरी सीमा कोई भंग करता है तो तू बन दुर्गा करती दुष्टों का संहार। सचरित्र-सरिता सम उड़ेलती निश्चल मधुर मुस्कान है, जीवनभर ग़मो का टुक हे नारी तू अधरों तले दबाती , पग पग पर दी अग्निपरीक्षा,जलाये तूने अपने सु स्वप्न है, मिलता नहीं सम्मान सम उपहार अपनों की चिंता बस सताती, युगों युगों में तेरी महिमा का बखान है,तेरी शक्ति अपरंपार है, पर कुछ मूर्ख आज भी नही न समझ रहे,धन मोह में तेरी चिता जलाई,