कोई दीवाना समझता है कोई पागल समझता है धरती की तपिस को बादल समझता है सावन की हर बूंदो को दीवाना समझता है कोई दीवाना समझता है कोई पागल समझता है तेरी आँखों की नमीं को यह दिल समझता है तेजी मौजूदगी को मेरा दिल समझता है बहुत मशरूफ हो तुम भी बहुत मजबूत है हम भी कटते नही दिन जिसमें तू ना हो चांद की चांदनी जैसे कोई तीर चलाए इस बैचनी!तेरा या मेरा दिल समझता है कोई दीवाना समझता है कोई पागल समझता है N.D GILHOTRA # Koi Deewana Samajhta Hai Koi Pagal Samajhta Hai N.D GILHOTRA