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बाधाएँ आती हैं आएं, मन -दीप न बुझने पाए आशा की शिल

बाधाएँ आती हैं आएं,
मन -दीप न बुझने पाए
आशा की शिला का ले अवलंब
धर पग यों कि न हिल पाए
माना कि न सफल हुए इस बार
क्या पता बदल जाए समय की धार||
©स्मृति..... मोनिका ✍️

©स्मृति.... Monika #बाधाऐं आती हैं आएं #
बाधाएँ आती हैं आएं,
मन -दीप न बुझने पाए
आशा की शिला का ले अवलंब
धर पग यों कि न हिल पाए
माना कि न सफल हुए इस बार
क्या पता बदल जाए समय की धार||
©स्मृति..... मोनिका ✍️

©स्मृति.... Monika #बाधाऐं आती हैं आएं #