कुछ यू फिसलते हैं आशीक मैदान-ए-महोब्त मे, एक दिदार-ए-हुस्न की चाह औऱ खालूद मुस्कान, यह तो रिवायात है, शबे-ए-गम मे कैदी होने तक।। यूं हम भी न लिखते थे दर्द दास्तान-ए-महोब्त, यू सिरफिरे से, कूफ्र कहकर मुझे, यूं टूट गए कई आशीक ,यह बात बताने तक।। -माधव शर्मा Kuch jazbat dil se... #poem #nojoto #love #poetry #shayari #NojotoHindi