मैं मुसलसल चलता जा रहा हू मंज़िल की ओर, मुझे गिराने मे लगे है अपने ही कुछ लोग, ये कैसा मोह है मुझसे,मे समज न पाया, लेकिन मुझे गिराने मैं उनको बड़ा मजा आया । मे मुसलसल चलता जा रहा हू मंज़िल की ओर, मुझे गिराने मे लगे है अपने ही कुछ लोग, ये कैसा मोह है मुझसे,मे समज न पाया, लेकिन उनको मुझे गिराने मे बड़ा मजा आया ।