अब इश्क़ से मेरी,बगावत हो रही है। इस लिए उनको,शिकायत हो रही है।। वो जो कभी समझे,नही हालात मेरे। तौब्बा रब ये कैसी,इनायत हो रही है। अब कभी जो याद,भी आ जाये उनकी। खुद से ही खुद पे,फिर लानत हो रही है। है अब भूलने पे वो,मुझे मगरूर कहते। जिनके साथ मे रहना,गुनाहत हो रही है। क्या से क्या अब,हो गए मेहबूब मेरे। अब मेरे सामने झूठी,शराफत हो रही है। अब इश्क़ से मेरी,बगावत हो रही है। इस लिए उनको,शिकायत हो रही है।। ©Anand singh बबुआन #Dark Alpana Sharma Kavya