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जब #नैन मेरे हो जाएँ #सजल लिखने लगूँ #अश्कों से #ग

जब #नैन मेरे हो जाएँ #सजल
लिखने लगूँ #अश्कों से #ग़ज़ल
मेरा #हर्फ़_हर्फ़ तू बन जाये
शायद फिर #इश्क़_मुकम्मल हो जाये..

मेरी #आह की तुमको खबर लगे
फिर सांस भी अपनी #जहर लगे
#दिल जोर जोर से घबराये
शायद फिर इश्क़_मुकम्मल हो जाये..

मैं रोज़ कहूँ तुमको अपना
तुम रोज कहो मुझको #सपना
ये सपना भी #सच हो जाये
शायद फिर इश्क़_मुकम्मल हो जाये..

मैं #ओस बनू गिरूँ तुम पर
बनू #भौंरा और फिरू तुम पर
तुम #फूल वही फिर बन जाना 
शायद फिर इश्क़_मुकम्मल हो जाये..

जो #ख़ाब में तुम न आओ मेरे
#नयन_नीर भर जाये मेरे
तब #सांस वही पे ठहर जाये
शायद फिर इश्क़_मुकम्मल हो जाये..

जिस पल तुम्हारा #नाम न लूँ
मैं नाम तुम्हारे गर #जाम न लूँ
#पैमाना_अश्क़बार बन जाये
शायद फिर इश्क़_मुकम्मल हो जाये..

किसी को लिखूं जो #ताजमहल
मंजूर न हो वो तुमको #ग़ज़ल
मुह #फुलाकर तुम बैठ जाना 
शायद फिर इश्क़_मुकम्मल हो जाये..

#यादों में तुम्हारी #जलने लगूं
#ख़ाबों को यूँही #गढ़ने लगूं
और #रंग तुम्हारा ही चढ़ जाए
शायद फिर #इश्क़_मुकम्मल हो जाये
....

©Omprakash Arora
  #navratri