तमाम उम्र खुद को संवारते रहे तो भी क्या मिल गया अभी इक जीवन किसी मुफलिस का सँवारना बाकी रह गया। पैसों से तुमने तन पर लगे दागों को धो भी लिए हों तो क्या रूह पर लगे दागों का धुलना अभी बाकी है। तलाशते फिरते रहे हर इबादतगाहों में जिसे कभी माँ बाप के साये में बैठ भी गये होते तो यकीनन तलाश पूरी हो गई होती पर उनकी दुआओं के काबिल बनना अभी बाकी रह गया