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लिखती हूँ तुम्हें दिन -रात ज़हन के पन्नों पर हर्फ़

लिखती हूँ तुम्हें
दिन -रात
ज़हन के पन्नों पर 
हर्फ़ दर हर्फ़ उतारती हूँ
कभी काफ़िया,कभी रदीफ़
कभी मतला, कभी मकता
में ढालकर
एक मुकम्मल सी ग़ज़ल बनाती हूँ



     #काफ़िया #मकता #मतला #yqdidi
लिखती हूँ तुम्हें
दिन -रात
ज़हन के पन्नों पर 
हर्फ़ दर हर्फ़ उतारती हूँ
कभी काफ़िया,कभी रदीफ़
कभी मतला, कभी मकता
में ढालकर
एक मुकम्मल सी ग़ज़ल बनाती हूँ



     #काफ़िया #मकता #मतला #yqdidi
anupamajha9949

Anupama Jha

New Creator