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सामने उसका प्रतिबिंब, देख रहा, क्षितिज की ओर। जहां

सामने उसका प्रतिबिंब,
देख रहा,
क्षितिज की ओर।
जहां से,
कभी आती थी वो।
बहारें खिल जाती थीं,
लहरें भी मुस्कराती थीं।
हल्की धूंध,
उसको पैनी नजरों से,
बचाती थी,
और फिर वो उसकी बाहों में,
समा जाती थी।

©Anil Kumar Jaswal
  #पियामिलन  gaTTubaba Praveen Storyteller Devesh Dixit  संजय सिंह भदौरिया अब्र The Imperfect