White देश के नन्हे भविष्य को, गली-गली से गुजरते देखा है ... उनकी भोली आंखों में भूख- प्यास को तड़पते देखा है... नंगे पैर, फटे कपड़ों में, जिंदगी को सूखते देखा है ... किताबों को उनके सामने यूं लाचार खड़े देखा है.... खेलकूद को भूल, एक-एक रोटी के लिए तड़पते देखा है... बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियों के सामने, नन्हे कंधों को झुकते देखा है.... आज मैंने उगते सूरज को, समय से पहले ही डूबते देखा है.... ©Sudha Betageri #sudha