(गाना-ओ घर आजा परदेशी,की तेरी मेरी इक जिन्दड़ी)
तुझसे ही तो बाते सारी, राते होती थी,
तुझमे ही तो बस्ती मेरी, दिन दुपहरी थी,
कैसे बताऊँ, कैसे समझाऊ, तुझको ये हालाते,
ना जाने अब, कैसे होगी, फिर वही मुलाकाते,
ओ घर आजा परदेशी, की तेरी मेरी इक जिन्दड़ी।।
#Poetry#Music#Life#Song #Love#Hindi#poem#nojotohindi#lyrics