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बहुत शर्मसार हूं आजकल सब कुछ दिनदहाड़े होता है, अब

बहुत शर्मसार हूं आजकल सब कुछ दिनदहाड़े होता है,
अब ऐसा ही है कि अन्धेरे का काम भी अन्धेरे में नहीं होता।
बहुत शर्मसार हूं आजकल सब कुछ दिनदहाड़े होता है,
अब ऐसा ही है कि अन्धेरे का काम भी अन्धेरे में नहीं होता।