मैं लब हूँ वो शब्द है मेरा , मैं सुर वो संगीत मेरा, मैं दरख़्त तो वो छाया है मेरी ,मैं मन वो मीत मेरा। अधूरे श्याम बिन राधा, वजूद उस बिन मेरा आधा, वो विरह मैं वेदना, न उससे कुछ अधिक न ज़्यादा। बे ताक़त उस बिन मैं, मेरी तमाम ताक़त वो है, अदना सा मैं बशिंदा हूँ मेरी तमाम क़ायनात वो है। मैं शहर एक वीरान वो चहलक़दमी का बाज़ार, मैं उर और वो धड़क है मेरी, हूँ उस बिन मैं बेज़ार। मैं इक़ मुन्तज़िर और वो मेरी मौजों की धनक है, ख़ाली ग़ुल्लक मैं और वो मेरी सिक्कों की ख़नक है। मैं साथ पुराना उसका हूँ वो सफ़र सुहाना मेरा है, मैं अलसाई किरणों सी हूँ वो हर बहाना मेरा है । ♥️ Challenge-763 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।