जीवन मेरा कागज की एक नाव चुराकर भाग गया, वो मेरी आँखों से सारे ख्वाब चुराकर भाग गया। कच्ची कैरी तोड़ के खाने वाले जितने सपने थे, बेशक छोटे सपने थे लेकिन वो सचमुच अपने थे। जिन नन्हें पैरों से अपने घर मे दौड़ा करते थे, आसमान का सफर मेरे वो पांव चुराकर भाग गया वो मेरी आँखों से सारे ख्वाब चुराकर भाग गया। कभी नदी में तेरे थे और कभी पेड़ पर झूले थे, आसमान ने इंद्रधनुष को देख खुशी से फूले थे। थककर के मैं जिन पेड़ों की छइयां में सो जाता था, सड़कों का विस्तार मेरी वो छांव चुराकर भाग गया, वो मेरी आँखों से सारे ख्वाब चुराकर भाग गया।। -पुरुषोत्तम गौर #nojotokavita #poetry #poem #hindikavita