मै थी ..तुम थे बारिश थी और भीगे भीगे गाने भी थे.. थोडे थोडे किस्से थे और हलकेसे ताने भी थे.. बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे.. एक ही प्याली चाय भी थी घुंट घुंट की बात भी थी हवा हमारे साथ भी थी सामने था सब धुंदला धुंदला बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे.. बादल हाथोंंमें ले ले कर खिडकी ने भी देखा था हरेभरे पेडोंंने झुककर पलभर ये ही सोचा था हलकी हलकी आहेेंं थी बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे हाथोंं मे थे हात जरासे बातोंं मे थी बात जरा भिगी भिगी दोपहरी मे नरमी भी थी साथ जरा हसते हसते आँँख भर आई बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे