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एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ...By:-

एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ...By:- Sagar Raj Gupta

जो दर्द दिया था मुझे तुमने मै आज वो सहने आया हूँ।
एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ।

देख मुझे तुम जब-जब भी नज़रों को निचे झुकाती थी,
वो ज्येष्ठ मास की धूप भी माघ की जाड़ बन जाती थी,
मै मस्त-मौला पागल बनूँ, ज़ब तुम बालों में गजरा लगती थी,
जिसे पता न था कुछ भी तुम उसे भी प्यार सिखाती थी।
पता भी नहीं है की दिल अभी खाली है तेरा, फिर भी मै वहाँ रहने आया हूँ...
एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ।

ज़ब तुम काली साड़ी पहन मेरे बगल से गुजरा करती थी,
साफ आसमान में भी रिमझिम बारिश बरसा करती थी,
तेरी पाजेब की खनक एक संगीत की धुन सुनाती थी,
मेरे मन और मस्तिष्क में नई-नई शायरी और ग़ज़ल बनाती थी।
तुमने दिया था जो लॉकेट मुझे,आज फिर वो पहनें आया हूँ...
एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ।

कुछ तो बात जरूर थी उसमे की मेरा दिल उसी पे आता था,
नज़रे ढूंढती रहती थी उसे, जहाँ-जहाँ भी वो जाता था,
ये बात उसे भी पता है की मै प्यार उसी से करता हूँ,
उसी के लिए जीता हूँ और उसपर ही केवल मरता हूँ।
चाहे खुदा को मंजूर ना हो फिर भी मै आज उसे चाहने आया हूँ...
एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ।

ऐसा मुझे लगता है की वो भी मुझसे प्यार करती है,
ज़ब मै ना दिखूँ उसे, वो मुझे ही ढूंढा करती है,
बोलती है की हम दोस्त है और फ़िक्र पत्नी की भांति करती है,
और मेरे नाम को अपने नाम के साथ अपने हाथ पे लिखा करती है।
भले ही मै हूँ सागर , लेकिन उसके प्यार में बहने आया हूँ...
एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ।

©Sagar Raj Gupta एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ...
#_Sagar_The_Shayar_
#_Sagar_Ki_Duniya
#_Brand_Sagar
#My_wirds_is_my_weapon
#_I_am_also_a_Shayari 
अधूरे अल्फाज़ो के शहंशाह :- सागर राज गुप्ता।लफ्ज़ो के बादशाह :- सागर राज गुप्ता।
अंदाज़ वही आगाज़ नई ...सागर राज गुप्ता।
एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ...By:- Sagar Raj Gupta

जो दर्द दिया था मुझे तुमने मै आज वो सहने आया हूँ।
एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ।

देख मुझे तुम जब-जब भी नज़रों को निचे झुकाती थी,
वो ज्येष्ठ मास की धूप भी माघ की जाड़ बन जाती थी,
मै मस्त-मौला पागल बनूँ, ज़ब तुम बालों में गजरा लगती थी,
जिसे पता न था कुछ भी तुम उसे भी प्यार सिखाती थी।
पता भी नहीं है की दिल अभी खाली है तेरा, फिर भी मै वहाँ रहने आया हूँ...
एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ।

ज़ब तुम काली साड़ी पहन मेरे बगल से गुजरा करती थी,
साफ आसमान में भी रिमझिम बारिश बरसा करती थी,
तेरी पाजेब की खनक एक संगीत की धुन सुनाती थी,
मेरे मन और मस्तिष्क में नई-नई शायरी और ग़ज़ल बनाती थी।
तुमने दिया था जो लॉकेट मुझे,आज फिर वो पहनें आया हूँ...
एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ।

कुछ तो बात जरूर थी उसमे की मेरा दिल उसी पे आता था,
नज़रे ढूंढती रहती थी उसे, जहाँ-जहाँ भी वो जाता था,
ये बात उसे भी पता है की मै प्यार उसी से करता हूँ,
उसी के लिए जीता हूँ और उसपर ही केवल मरता हूँ।
चाहे खुदा को मंजूर ना हो फिर भी मै आज उसे चाहने आया हूँ...
एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ।

ऐसा मुझे लगता है की वो भी मुझसे प्यार करती है,
ज़ब मै ना दिखूँ उसे, वो मुझे ही ढूंढा करती है,
बोलती है की हम दोस्त है और फ़िक्र पत्नी की भांति करती है,
और मेरे नाम को अपने नाम के साथ अपने हाथ पे लिखा करती है।
भले ही मै हूँ सागर , लेकिन उसके प्यार में बहने आया हूँ...
एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ।

©Sagar Raj Gupta एक बात अधूरी थी कबसे मै आज वो कहने आया हूँ...
#_Sagar_The_Shayar_
#_Sagar_Ki_Duniya
#_Brand_Sagar
#My_wirds_is_my_weapon
#_I_am_also_a_Shayari 
अधूरे अल्फाज़ो के शहंशाह :- सागर राज गुप्ता।लफ्ज़ो के बादशाह :- सागर राज गुप्ता।
अंदाज़ वही आगाज़ नई ...सागर राज गुप्ता।