वो काफ़िर फ़रिश्ते तुम्हारे। झूठ फ़रेब का फ़र्क़ जो समझाते हैं हर मुस्कान पर झकझोर के जगाते हैं वही मगरूर दिल के पास हैं ज़माने के जिनके ठेके हैं सलीक़ा सिखाने के वो काफ़िर फ़रिश्ते तुम्हारे। मेरे ख़्वाबों को चुरा कर रोज़ सोने देते हैं शिकायतों की पर्ची मेरी बहुत कम लेते हैं हर नुक्कड़ पे इनके चेहरे बदल जाते हैं जो दूर चाँद को मेरा मामा बताते है वो काफ़िर फ़रिश्ते तुम्हारे। #फ़रिश्ते #yqbaba #yqdidi #dsvatsa #vatsa #illiteratepoet #yqbaba वो काफ़िर फ़रिश्ते तुम्हारे। झूठ फ़रेब का फ़र्क़ जो समझाते हैं हर मुस्कान पर झकझोर के जगाते हैं वही मगरूर दिल के पास हैं ज़माने के जिनके ठेके हैं सलीक़ा सिखाने के