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वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो। मां की लताड़

वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो। मां की लताड़ हो या बाप की दहाड़ हो । तुम निडर डटो वहीं, रजाई से हटो नहीं। तू धूप की न आस कर, रजाई में निवास कर | मुंह सिर्फ दिखे तब ही, चाय कॉफी मिले जब ही । वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो ।।।

©Prem kumar
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