राज़ गहरे, दिल में कशमकश, ज़ख्म है गहरे। हमेंशा हसता चेहरा, लेकिन पर्दे के पीछे, एक तन्हा किरदार। रंगमंच की दुनियादारी मे, हमेशा बोलता है यह किरदार, अचानक से छुपा लिए अपने अल्फ़ाज। ख़ामोशी का मंज़र, इस कदर छाया के, ख़ामोश आँखों से, बह गया दर्द का सैलाब। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-770 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।