(भ्रातृत्व का कर्तव्य बोध) (अंतिम भाग) माफ करना मुझे सपने में आ भ्रातृत्व कर्तव्य-बोध का याद दिलाने, दोगला भाई कहके तुम्हें था पुकारा, तुम्हारे जमींर को भी था धित्कारा, गर हो भ्रातृत्व कर्तव्य-बोध का अहसास तनिक भी, तो हो रहे नारी का अत्याचार पर उलगुलान लाओ, अब तो नारी सम्मान का विस्तार समाज को बताओ, भ्रूण हत्या, दहेज-दानव से हमको मुक्त कराओ, अब तो कहो उन दरिंदो से हवस का शिकार ना बनाओ, और तेज़ाब से आभांकित चेहरे को ना जलाऔ, अब तो जागो और नारीत्व शक्ति के सम्मान की विधि तलाशो, इतना कह बहन अनजान और बहन निर्भया भी अंर्तध्यान हो गई। सहसा मैं जाग उठा, और कुंठित हो अंर्तमन में था झाक रहा, अब में ना अहम में था और ना तो वहम में था। इन्सान सच्चा हुँ मैं अब ये भी ना मन में था। ©फक्कड़ मिज़ाज अनपढ़ कवि सिन्टु तिवारी #भ्रातृत्व का कर्तव्य बोध 😎minaक्षी goyल😎 sweta tiwari Priyanka Singh #suman# Bhavana Pandey