जिस धड़कन से तीव्र गतिमान नदियों की गति रुक जाती थी, उस रुहानी को कैसे लिखूँ, जिस आहट से गरजते हुए सागर का गर्जन् रुक जाता था, उस निशानी को कैसे लिखूँ, आज़ाद, भगत सिंह, अशफ़ाक़, साँसें थम जाती थीं जिनकी शौर्य गाथाओं से, अंबर, महीधर्,निर्झर,तरुवर, नमन करते थे जिसे, उस जवानी को कैसे लिखूँ ....... Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey उस जवानी को कैसे लिखूँ