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हे शंकर के मस्तक बिंदु, जलरूपी करुणा सिंधु। कल-क

हे शंकर के मस्तक बिंदु, 
जलरूपी करुणा सिंधु। 
कल-कल बहती तुम जललहरी, 
हो ब्रह्मज्ञान सी तुम गहरी।
मोक्षदायनी तुम माता, 
जो दर्शन करता तर जाता। 
तेरे जल के सब कंकर, 
होते हैं माता शिव शंकर। 
भजते है यहां सब नर, 
बस नर्मदे हर,नर्मदे हर।
निशदिन ध्यान करे जो कोई, 
निर्मल मन पाए नर सोई।  माँ नर्मदा जी के प्राकट्यत्सव की हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई ।
नर्मदे हर नर्मदे हर
#नर्मदा_जयंती #narmda_jayanti #maa #नर्मदा_माई #नर्मदा_का_हर_कंकर_शंकर_है
हे शंकर के मस्तक बिंदु, 
जलरूपी करुणा सिंधु। 
कल-कल बहती तुम जललहरी, 
हो ब्रह्मज्ञान सी तुम गहरी।
मोक्षदायनी तुम माता, 
जो दर्शन करता तर जाता। 
तेरे जल के सब कंकर, 
होते हैं माता शिव शंकर। 
भजते है यहां सब नर, 
बस नर्मदे हर,नर्मदे हर।
निशदिन ध्यान करे जो कोई, 
निर्मल मन पाए नर सोई।  माँ नर्मदा जी के प्राकट्यत्सव की हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई ।
नर्मदे हर नर्मदे हर
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