तुम कितनी ही बार मुझे समझाओ चाहे कितनी ही बार मना करो पर मैं पूछूँगी बार बार जब तक दो शब्दों का मौन मुझमें घटित होकर संगीत न बन जाये जब जब प्रश्न खड़े हुये हैं तुमने ही तो हर बार मुझे उत्तर दिये हैं अपनी हठ में जब भी न मानी कोई तुम्हारी बात सजा तुमसे बिछुड़ने की मैंने ही तो पाई है फिर चाहे मेरे गर्वीले मन की हो या स्त्रीहठ या फिर बालसुलभ मन हर वार हे प्रिय!विरह वेदना मुझको ही तो हुयी है तुम तो समाधिस्थ हो जाते हो या अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ जाते हो और मैं वहीं अपना चिरपरिचित आहत ह्रदय लिये तुम्हारे इंतज़ार में प्रतीक्षा करती रहती हूँ जहाँ तुम छोड़कर चले गये #प्रतीक्षारत #nojoto #hindiwriters #writersofnojoto #quote #life #hindiquote #story #word #poem #igwriters #hindipoetry